हरिहरपुरी की कुण्डलिया
हरिहरपुरी की कुण्डलिया
जगती का इंसान हर,ईश्वर का है पूत।
ईश्वर का संदेश यह, मानव बने सपूत।।
मानव बने सपूत, कर्म से हो कर पावन ।
रच दे शिव इतिहास,भूमि पर लाये सावन।।
कहें मिसिर कविराय, हरित होती है धरती।
आते यदा सपूत,बनाते सुंदर जगती।।
पावन हिय में शोक का, मिटता नामनिशान।
निर्मल स्वच्छ विचार ही,ईश्वर का प्रिय स्थान।।
ईश्वर का प्रिय स्थान, पूज्य होता है जग में।
पूजन आदर भाव, विचरते उत्तम पग में।।
कहें मिसिर कविराय, धरा हो लोकलुभावन।
इसको संभव जान,अगर मन सबका पावन।।
Renu
23-Jan-2023 03:39 PM
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